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प्रियआंटी ने किया मेरा टकला | Priya aunty ne kiya Mera takla | Headshaved by Priya aunty | Headshave 2022
आज दो महीने हो चुके है टकला होके और आज फिर से टकला होने का मन किया। उसी समय उठके सलून की ओर निकल पदा , पर मेरी बुरी किस्मत, सलून आज खुला ही नहीं था। तो फिर से घर जाने लगा । जैसे ही बिल्डिंग के नेचे पहुंचा तो देखा पार्लर वाली प्रियाआंटी कुछ सामान लेके निचे खड़ी थी। एक अच्छा पड़ोसी के रूप में मैंने उनकी मदद की और उनका सामान उनके रूम तक ले गया । जब मैं सामान रखके निकल रहा था तो आंटी ने रुखने को कहा और चाय ऑफर की। पर मैंने मना करदिया और सिर्फ पानी माँगा। प्रिया आंटी ने पानी का ग्लास लाया और मुझे दीया। मैं पानी पी रहा था के आंटी ने पूछा " वैसे इतने सुभा सुभा कहा जा रहे थे " तो मैंने जवाब दिया " सलून गया था पर बंद है, बाद में फिर जाउंगा" तब आंटी बोली " सलून क्यों ? तुम्हारे बाल तो वैसे ही छोटे है। सलून क्या करने गए थे? अब इस्का जवाब कैसे दू, पर बोल ही दिया "टकला करवाना था" आंटी ये सुनकर थोड़ी देर मुझे घूरती रही और फिर हस्स पडी और बोली " टकला! क्यू बाल बढ़ाने नहीं है? और तुमने कुछ हफ्तो पहीले ही तो टकला करवाय था, तो अब फिर से क्यों करवा रहे हो? कुछ समज नहीं आरहा था क्या बोलू, पर आखिरकार बोलना ही पढ़ा। मैंने कहा " हाँ टकला करवाया था, पर पता नहीं क्यू मुझे टकला होना अच्छा लगता है, इसलिए आज फिर से करवाना था पर सैलून खुला ही नहीं, वारना आज आपको मेरा चमकता टकला देखने को मिलता" ये सुनकर आंटी फिर हसपड़ी और बोली " ठीक है, एक काम करो एक घंटे के बाद मुझे पार्लर मे मिलना, कुछ काम है" और मैं भी मान गया और अपने घर चला गया। देखते ही देखते एक घंटा बीत गया और मैं पार्लर चला गया। जैसे ही पार्लर के पास पहुचा तो देखा प्रिय आंटी भी बस अभी आई है और पार्लर खोल रही थी. तो मैं जाके उन्के पास खड़ा होगया। आंटी देख मुस्कुराई और कहा " ठीक समय पर आए हो। चलो अंदर आओ " मैं भी उन्के पीछे पीछे अंदर चला गया। अंदर जाके आंटी ने लाइट लगाई और मुझे कुर्सी पर बैठने को कहा। मैं भी बीना कुछ सवाल किये जाके बैठ गया। फिर आंटी मेरे पास आई और मेरे बालो मे हाथ फिराने लगी और बोली " तो ये सर के बाल साफ करने है" तब मैं थोड़ा हसा और बोला " हाँ, पुरा साफ। एकदम चमकदार टकला करना है " तब आंटी बोली "अगर टकला ही करवाना है तो मैं करदेती हू। टकला करना हेअरकट से कफी आसान है। तब मैने हिचकिचाते हुआ बोला " थैंकयू आंटी , पर सलून मे करवालुंगा, आप तकलीफ मत लीजिये" पर आंटी नहीं मानी, और बोली "टकला ही करना है, मैं करदेती हू और वैसे देखा जाये तो तुमने भी तो मेरी मदद की है, अब मुझे कुछ नहीं सुनना है, मैं तुम्हे टकला कर रही हु बस। मुझे कुछ समज नहीं आरहा था क्या करू, फिर सोचा टकला तो वैसे ही करना है, और सलून अभी भी बंद है। बेहतर है आंटी से ही टकला करवा देता हू। तो मैंने आंटी से कहा " ठीक है, कर दीजिये टकला " तब आंटी ने फिर से बडीसी मुस्कान दी और कहा " अगर तुम नहीं माने तो भी मैं तुमको टकला करने वाली थी " ये कहके आंटी दरवाजा बंद करने चलीगई। मैने पूछा दरवाज़ा क्यों बंद किया आपने? तो आंटी बोली "अब लेडीज पार्लर है और लड़किया भी आना शुरू करदेगी, उनके समने तुमको टकला होना है?" मैंने जल्दी से जवाब दिया "कभी नहीं". आंटी ने दरवाज़ा बंद किया और क्लोज का बोर्ड लगा दिया। अब आंटी ने दराज मैं से कैप निकाला और मेरे गले पर बांदीया । अब वाह फिर से ड्रावर मे कुछ खोजने लगी. कुछ समय के बाद उन्होने ड्रावर से क्लिपर निकाला और मेरे सामने रख दिया और फिर से कुछ धुंडने लगी। क्लिपर देखके मैं थोडा उदास होगया. मुझे उस्तरे से टकला होना था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बोला "आंटी मुझे उस्तरे से टकला करवाना है" आंटी फिर भी कुछ खोज राही थी और खोजते हुआ बोली "पता है, उस्तरा ही खोज रही हू। और ये कहते कहते उनको उस्तरा मिलगया। उनका उस्तरा कुछ अलग था। सिल्वर कलर और चमकता हुआ। उन्होंने वह उस्तरा मेरे सामने रखा और बोली "तो टकला करदु? मैने भी हस्ते हुए सर हिलाया। आंटी ने भी स्माइल करके जवाब दिया और मेरे बालो पर पानी स्प्रे करने लगी और स्प्रे करते हुए बोली " तुमको पता है, मैं अक्सर क्लिपर इस्तेमाल करती हु स्टाइलिंग के लिए पर तुमहारे लिए सिर्फ उस्तरा है आज और मुझ पर भरोसा करो, तुम्हारा इतना मस्त टकला करुंगी तुम विश्वास नहीं करोगे" मैंने भी कहा " सच में, क्या आप को इत्ना अच्छा टकला करती हो? तब आंटी ने कहा " अब तुम ही देखलेना" और ये कहके उन्होने उस्तरे मैं नई ब्लेड डाली और मेरे सामने आकर खड़ी होगई और मेरे सर को थोड़ा जुकाया। पर कुछ किया नहि। उन्होंने उस्तरा रखा और ड्रावर मे से साबुन लिया और मेरे सर पर रगड़ने लगी। साबुन लगाने के बाद उन्होंने फिर से उस्तरा लिया और मेरे सर के बिच बिच मैं राखा और टकला करना शुरू किया। आंटी उस्तरा सामने की ओर चला रही थी. मेरे बाल शेव होके गिर रहे थे। आंटी के हाथ बहुत मुलायम थे और वाह बहुत धीरे धीरे से टकला कर रही थी। मेरा टकला हो रहा है ये महसुस ही नहीं होराहा था। अब मुझे लग रहा था की आंटी के हातो टकला होने का निर्णय एकदम सही था, अचानक से आंटी बोली "आइने मैं देखकर बताओ कैसा है" मैंने सर ऊपर किया और देखा की मेरे सर के ऊपर का हिस्सा पूरा साफ हो चूका है और साइड मे बाल अभी भी बचे है, मैंने कहा "अच्छा है" ये कहके मैंने सर को फिर से झुका दिया और आंटी अब पीछे आके फिर से उस्तरा घुमाना शुरू किया। मैं अब पीछेसे टकला हो रहा था। मुझे टकले पर ठंडी ठंडी हवा महसूस हो रही थी। पर आंटी के हाथ इतने मुलायम थे की क्या बताऊ. मैंने कहा " आंटी आपके हाथ भौत मुलायम है। जब आप टकले पर हाथ घुमाती हो तो बहुत अच्छा लगता है" ये सुनकर आंटी हसपड़ी और फिर मेरे सर के ऊपरी भाग के टकले पर हाथ फिराने लगी। ऐसा लग रहा की आंटी बस युहि मेरा टकला सहलाती रहे पर बाकी का सर अभी भी टकला करना था तो उन्होंने फिर से पीछे से उस्तरा घुमाना शुरू किया। टकला करते हुए आंटी बोली " तुम्हारा टकला काफी साफ़ है। मेरा बस चलता तो तुमको हमेशा टकला ही रखती। तब मैंने जवाब दिया " आप बस हुकम करना, मैं अपना सर लेके हाजिर होजाउंगा, फिर आप अपने मुलायम हाथो से मेरे सर को सफाचट टकला करदेना। ये सुनकर आंटी पागलो की तरहा हसने लागी और बोली " मैं तो मजाक कर रही थी, तुमको टकला रखने का मेरा कोई इंटेन्शन नहीं है। हाँ, पर अगर तुम चाहो तो साल में एक या दो बार मैं तुमको टकला सकती हु" मैंने भी हास्ते हुए कहा, "मैं भी मजाक कर रहा था। मेरी माँ मुझे बहुत चिल्लाएगी गर मैं टकला होके घूमने लगा "अब आंटी ने फिर से मेरे पीछे आई जो बचे हुए बाल थे उनको शेव करने लगी . फिर वही दोनो बाजु से भी शेव करदिया। अब मेरा सर पुरा टकला हो चूका था। थोडे थोडे बाल मेरे चेहरे पर और कुछ मेरे टकले पर चिपके हुए थे। आंटी ने ब्रश लिआ और मेरे टकला और चेहरे से बाल साफ़ करदिये। मैं अपने आपको आईने मे देख रहा था और आंटी मेरे पीचे खड़ी मेरे टकले को सहला रहि थी। अब आंटी ने कुछ हरा सा जेल लिआ और मेरे सफाचट टकले पर लगा दीया। मैं ये पहली बार देख रहा था, तो मैंने आंटी से पूछा "आंटी ये क्या है?आंटी मेरे टकले पर जेल रगड़ते हुए बोली " ये बालो को मोटा करता है, अब जो तुम्हारे टकले पर छोटे छोटे बाल बचे है उनको शेव करना है इसलिए " तब पता चला एक्सपर्ट हेडशेव किस्से कहते है। अब आंटी ने मेरे टकले को पुरा जेल मे कवर करदिया और फिर से उस्तरा लिया और मेरे टकले पर रगड़ना शुरू करदिया। पता नहीं क्यू पर आंटी के हाथो मे कुछ जादू सा था। उनके हाथो से उस्तरे से शेव होने का पता ही नहीं चलता। अगर उन्होने मुझे नींद मे टकला करने की कोशिश की होती तो मेरी नींद पुरे टकले होने के बाद ही खुलती। आंटी ने अब टकला करना शुरू करदिया था. हर बार उस्तरा फिराकर टिश्यू पेपर पर पोछ रही थी। जेल मैं छोटे छोटे काले बाल मिले हूए थे। ऐसा लग रहा था आंटी मेरे टकला अपने हातो के तरहा चिकना करने वाली है। आंटी ने पीछेसे और दोनों साइड से पुरा टकला करदिया था, अब बारी सामने बचे बालो की थी। आंटी ने बड़े प्यार से सामने से भी उस्तरा घुमाया। अब मेरा टकला पहेली बार से भी ज्यादा चिकना होचुका था। आंटी ने फिर से मेरे टकले पर हाथ फिराया और जहा जहा उनको लगा रफ है वह उस्तरा घुमाया और साफ करदिया। अब मेरा टकला एक दम चिकना हो चूका था। सलून वाले ने भी इतना अच्छा टकला नहीं किया था। फिर आंटी ने मेरे टकले पर पानी स्प्रे किया और मेरे टकले को पोंछा। फिर तेल से अच्छी मालिश की. बादमे आंटी ने मेरे गले पर का कपड़ा खोला और बोली " अब दो घंटो तक अपने टकले को धोना नही। और बाहर जाकर धुप मे खड़े होकर मुझे अपने चमकते हूए टकले की सेल्फी सेंड करो" ये सुनकर मैंने कहा " जरूर, और अगर आपको कोई मदद चाहिये तो बताना" ये सुनकर आंटी बोली " क्यू फिर से टकला करवाना है" और हसने लगी। मैं भी हसने लगा और बोला " हाँ, आप के हाथो टकला होने मैं बहुत मज़ा आया, फिर से टकला करवाना है आप के हातो से" तब आंटी बोली " इटना टकला करवाओगे तो बाल कब बढ़ाओगे?" मैंने उत्तर दिया "मनसून मैं। गर्मियों मैं टकला ही ठीक है" तब आंटी बोली "हाँ , वो तो है। अगले महीने फिर से टकला करदुंगी। ठीक है" और मेरे टकले पर हाथ फिराने लगी। बाद में बाहर गया और धूप मैं खड़े होकर अपने टाकले की चमकती हुई सेल्फी ली आंटी को भजद। आंटी का भी जवाब आगया कुछी ही देर मे। आंटी ने लिखा, "कितना चमक रहा है । लगता है मेरी महेनत रंग लाई" फिर मैंने भी जवाब दिया "हाँ , कफी चमकदार रंग लाई"। जब मैं घर पहुंचा, तो मेरी माँ ने मेरे टकले को देखा और बोली "ये क्या, फिर से टकला करवालिय? तब मैंने कहा "बताया तो था, डैंड्रफ ट्रीटमेंट के लिए टकला करवाना है । एक बार ओर टकला करवाना पडेगा और वैसे भी गर्मियों का मौसम है। अगर बाहर देखोगी तो पाओगी कहि लोग टकले होकर घुमरहे है" तब माँ मेरे पास आई और मेरे टकले को रगड़ने लगी और बोली " कितने बार टकला करवाया है? ये तो पहले से भी सफाचट है। ऐसा लग रहा है, कभी बाल थे ही नही। जानेदे, जाके फ्रेश होजा" तब मैंने कहा "नहीं, और थोडा समय लगेगा। दवाई लगाई है " ये सुनकर माँ भी किचन मे चली गई । में सोफे पर बैठा सोच रहा था की अगले महीने आंटी के हाथो फिर से टकला होना है, पर माँ को क्या बहाना दू ।
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